थैलेसीमिया एक ऐसी प्राकृतिक स्थिति है जो ठीक नहीं की जा सकती, हां उसके असर को कम अवश्य किया जा सकता है।जरूरी नहीं है कि थैलेसीमिया में रक्त की होने वाली कमी आपको पता लग जाए, आप बरसों बरस एक स्वस्थ्य आदमी की तरह जीते रहते हैं। लेकिन रक्त की यह कमी आपके बच्चों को आपसे जन्म जात मिल ही जाती है, स्वतः। बच्चों का क्या दोष थैलेसीमिया से ग्रस्त होने में।।अनमोल बच्चों पर यह कमी घातक भी साबित होती है।
ऐसे बच्चों में हिमोग्लोबिन की कमी, कभी खुद के द्वारा शरीर पूरी नहीं कर पाता। दूसरे का सहयोग लेना ही पड़ता है। एक स्वस्थ्य आदमी का रक्त समय समय पर चढ़ाना ही पड़ता है मरीज को। जीवन हमेशा खतरे में ही बना रहता है। क्यों न किसी एक बच्चे की जिंदगी बचाई जाए, एक यूनिट देकर।।यही मानव कल्याण होगा, यही मानव धर्म है ।बस एक यूनिट रक्त।।आइए अमर उजाला कार्यालय, फजलगंज, 27 तारीख को रक्त दान कीजिए और करवाइए।
– Rahul Mishra